Bhavishya Puran Summary In Hindi : Chapterwise
Bhavishya Puran Summary In Hindi : Chapterwise हिंदू धर्म के 18 महापुराणों में से एक महर्षि वेदव्यास का भविष्य पुराण है। इस पुराण में धर्म, आचार, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष, आयुर्वेद, समाज और भविष्य की घटनाओं से संबंधित कई विषय हैं। यह पुराण धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कारणों से बहुत महत्वपूर्ण है और भविष्यवाणियों का व्यापक वर्णन करता है। भविष्य पुराण में चार महत्वपूर्ण भाग हैं: ब्रह्म, मध्यम, प्रतिसर्ग और उत्तर पर्व |
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1. ब्रह्म पर्व (215 अध्याय)
Bhavishya Puran Summary In Hindi : Chapterwise ब्रह्म पर्व में भविष्य पुराण की प्रारंभिक अवधारणाओं का वर्णन किया गया है। इसमें सूर्य पूजा, स्त्री धर्म, व्रतों और आचारों का विस्तृत वर्णन है। इस पर्व में धर्म और कर्म के महत्व को बताया गया है। विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा विधियों और उनके प्रभाव के बारे में बताया गया है। इस पर्व में भक्तों को सूर्य पूजा के माध्यम से समृद्धि और सुख की प्राप्ति के उपाय बताए गए हैं।
2. मध्यम पर्व (62 अध्याय)
Bhavishya Puran Summary In Hindi : Chapterwise मध्यम पर्व में विभिन्न धार्मिक कृत्य, व्रत, तीर्थ यात्रा, और दान के महत्व पर चर्चा की गई है। इसमें पितृकर्म, श्राद्ध कर्म, और सामाजिक नियमों का पालन करने की विधि का विस्तार से वर्णन किया गया है। इस पर्व में यह भी बताया गया है कि किस प्रकार से मनुष्य को अपने जीवन में धर्म का पालन करते हुए पुण्य प्राप्त करना चाहिए और उसे अपने जीवन में आदर्शों का पालन करना चाहिए।

3. प्रतिसर्ग पर्व (100 अध्याय)
Bhavishya Puran Summary In Hindi : Chapterwise प्रतिसर्ग पर्व में इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं और ऐतिहासिक व्यक्तियों का वर्णन किया गया है। इसमें विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों की महिमा का विस्तार से वर्णन है। इस पर्व में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों, जैसे कि नरसिंह अवतार, राम अवतार, कृष्ण अवतार आदि का वर्णन किया गया है। साथ ही, इसमें भारत के विभिन्न ऐतिहासिक समयों और घटनाओं का उल्लेख भी किया गया है।
4. उत्तर पर्व (208 अध्याय)
Bhavishya Puran Summary In Hindi : Chapterwise उत्तर पर्व में भगवान विष्णु की माया के प्रभाव को बताया गया है और नारद जी के जीवन से जुड़ी घटनाओं का वर्णन किया गया है। इस पर्व में कई व्रतों और पूजा विधियों का उल्लेख है। इसके अलावा, इसमें विभिन्न तीर्थ स्थानों का महत्व और वहां की जाने वाली पूजा विधियों का भी विस्तार से उल्लेख किया गया है। इस पर्व को भविष्योत्तर पुराण भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का उल्लेख किया गया है।
निष्कर्ष
Bhavishya Puran Summary In Hindi : Chapterwise भविष्य पुराण न केवल धर्म, कर्म, व्रत और पूजा के बारे में विस्तार से बताता है, बल्कि इसमें भविष्यवाणियों का भी वर्णन किया गया है जो आज भी प्रासंगिक हैं। यह पुराण न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक मूल्यवान है। यह मानव जीवन को सही दिशा देने के लिए मार्गदर्शक है और हमें यह समझने में मदद करता है कि हमारे कर्मों का हमारे भविष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।
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(FAQs)
प्रश्न 1: भविष्य पुराण का क्या महत्व है?
उत्तर: भविष्य पुराण हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जो धर्म, आचार, व्रत, पूजा, तीर्थ, और भविष्यवाणियों से संबंधित जानकारी प्रदान करता है। यह सामाजिक और धार्मिक जीवन में मार्गदर्शन करता है।
प्रश्न 2: भविष्य पुराण के कितने पर्व होते हैं?
उत्तर: भविष्य पुराण के चार प्रमुख पर्व होते हैं: ब्रह्म पर्व, मध्यम पर्व, प्रतिसर्ग पर्व, और उत्तर पर्व।
प्रश्न 3: भविष्य पुराण में कौन-कौन सी भविष्यवाणियाँ की गई हैं?
उत्तर: भविष्य पुराण में विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं और भविष्य में होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणियाँ की गई हैं, जैसे कि विभिन्न युगों का आगमन, युद्ध, और समाज के बदलाव।
प्रश्न 4: भविष्य पुराण में सूर्य पूजा का क्या महत्व है?
उत्तर: भविष्य पुराण में सूर्य पूजा को अत्यधिक महत्व दिया गया है। इसमें सूर्य देव की पूजा विधि और उनके प्रभाव से जीवन में सुख, समृद्धि और पुण्य प्राप्त करने के उपाय बताए गए हैं।
प्रश्न 5: भविष्य पुराण में किसकी चर्चा की गई है?
उत्तर: भविष्य पुराण में भगवान विष्णु के अवतारों, प्रमुख ऐतिहासिक व्यक्तियों, महापुरुषों, और विभिन्न धार्मिक कृत्यों का विस्तृत वर्णन किया गया है।
प्रश्न 6: क्या भविष्य पुराण केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर: नहीं, भविष्य पुराण धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
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