हिंदू धर्म में कुल कितने पुराण हैं? नाम, प्रकार और महत्व की पूरी जानकारी
हिंदू धर्म में कुल कितने पुराण हैं? नाम, प्रकार और महत्व की पूरी जानकारी हिंदू धर्म में कुल कितने पुराणों का पालन किया जाता है? नाम, प्रकार और अर्थ का पूरा विवरण हिंदू धर्म एक प्राचीन और व्यापक धर्म है, जिसकी गहराई और विविधता को समझने के लिए हमें उसके ग्रंथों को जानना होगा। हिंदू धर्म में कुल कितने पुराण हैं? पुराण इन ग्रंथों में से एक महत्वपूर्ण है। पुराणों का शाब्दिक अर्थ “पुरानी कथाएँ” या “प्राचीन इतिहास” है, उनका दार्शनिक और धार्मिक अर्थ बहुत गहरा है। यह ग्रंथ भारतीय संस्कृति, परंपरा और इतिहास का महत्वपूर्ण दस्तावेज और धार्मिक आस्था का आधार हैं।
हिंदू धर्म में कुल कितने पुराण हैं? नाम, प्रकार और महत्व की पूरी जानकारी पुराणों की कुल संख्या
हिंदू धर्म में कुल कितने पुराण हैं? नाम, प्रकार और महत्व की पूरी जानकारी हिंदू धर्म के कुल 18 पुराणों के नाम हिंदू धर्म में मान्यता प्राप्त 36 पुराण हैं, जिन्हें दो भागों में विभाजित किया गया है:
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18 महापुराण (Mahapuranas)
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18 उपपुराण (Upapuranas)
ये सभी ग्रंथ धार्मिक, नैतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण हैं।
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भाग 1: 18 महापुराण – प्रमुख और व्यापक ग्रंथ
हिंदू धर्म में कुल कितने पुराण हैं? नाम, प्रकार और महत्व की पूरी जानकारी महापुराणों को ‘श्रेष्ट पुराण’ कहा जाता है क्योंकि इनका दायरा व्यापक है और इनमें सृष्टि की उत्पत्ति, देवताओं का महत्त्व, मानव धर्म, तीर्थ यात्रा, पूजा विधियाँ, और मोक्ष का मार्ग समझाया गया है। इन्हें ‘त्रिमूर्ति’ – ब्रह्मा, विष्णु, और शिव – के आधार पर तीन भागों में बांटा जाता है।
18 महापुराणों की सूची:
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ब्रह्म पुराण
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पद्म पुराण
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विष्णु पुराण
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शिव पुराण
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भागवत पुराण
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नारद पुराण
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मार्कण्डेय पुराण
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अग्नि पुराण
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भविष्य पुराण
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ब्रह्मवैवर्त पुराण
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लिंग पुराण
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वराह पुराण
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स्कन्द पुराण
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वामन पुराण
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कूर्म पुराण
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मत्स्य पुराण
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गरुड़ पुराण
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ब्रह्माण्ड पुराण
विशेषताएँ:
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भागवत पुराण में श्रीकृष्ण की लीलाओं का अद्भुत वर्णन है।
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शिव पुराण में भगवान शिव के रहस्यमय स्वरूपों का विस्तार मिलता है।
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गरुड़ पुराण को मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा समझने के लिए पढ़ा जाता है।

भाग 2: 18 उपपुराण – पूरक और क्षेत्रीय ग्रंथ
हिंदू धर्म में कुल कितने पुराण हैं? नाम, प्रकार और महत्व की पूरी जानकारी उप्पुराणों को ‘लघु पुराण’ कहा जाता है, लेकिन इनका भी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व कम नहीं है। ये ग्रंथ विशेष रूप से किसी क्षेत्र, देवी-देवता, या साधना पद्धति पर केंद्रित होते हैं।
18 उपपुराणों की सूची:
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सनत्कुमार पुराण
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नरसिंह पुराण
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शिवधर्म पुराण
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दुर्वासा पुराण
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कपिल पुराण
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मानव पुराण
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औशनस पुराण
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वारुण पुराण
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कालिका पुराण
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महेश्वर पुराण
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साम्ब पुराण
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नंदी पुराण
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सौर पुराण
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पराशर पुराण
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आदित्य पुराण
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माहेश्वर पुराण
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भार्गव पुराण
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वासिष्ठ पुराण
उपपुराणों की उपयोगिता:
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इन ग्रंथों में तांत्रिक साधनाओं, स्थानीय तीर्थों और विशिष्ट उपासना पद्धतियों का उल्लेख होता है।
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कुछ उपपुराणों में समाज, शासन, और नैतिकता से जुड़े उपदेश भी पाए जाते हैं।
महापुराण बनाम उपपुराण – प्रमुख अंतर
मापदंड | महापुराण | उपपुराण |
---|---|---|
संख्या | 18 | 18 |
विषयवस्तु | व्यापक – धर्म, दर्शन, सृष्टि | विशिष्ट – देवी, तीर्थ, साधना |
मान्यता | अधिक मान्यता प्राप्त | क्षेत्रीय महत्व |
उदाहरण | भागवत पुराण, शिव पुराण | कालिका पुराण, सनत्कुमार पुराण |
पुराणों का महत्व
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धार्मिक शिक्षाएँ: धर्म, कर्म, मोक्ष के सिद्धांत को सरल भाषा में समझाते हैं।
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संस्कृति का संरक्षण: परंपराओं, त्योहारों, संस्कारों का विस्तृत वर्णन।
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शैक्षणिक उद्देश्य: समाज को नीति, सदाचार, और सत्य का ज्ञान प्रदान करना।
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आध्यात्मिक मार्गदर्शन: आत्मा और परमात्मा के संबंध की व्याख्या।
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निष्कर्ष
हिंदू धर्म में कुल कितने पुराण हैं? हिंदू धर्म में कुल 36 पुराण होते हैं – 18 महापुराण और 18 उपपुराण। ये ग्रंथ न केवल धार्मिक ग्रंथ हैं, बल्कि भारतीय समाज, संस्कृति, और परंपरा के जीवंत दस्तावेज हैं। महापुराणों में ब्रह्मा, विष्णु और शिव के विभिन्न स्वरूपों का विवेचन होता है, जबकि उपपुराणों में क्षेत्रीय और विशेष पूजा विधियों का विवरण मिलता है।
अगर आप हिंदू धर्म को गहराई से समझना चाहते हैं, तो इन पुराणों का अध्ययन अत्यंत उपयोगी होगा।
(FAQs)
1. हिंदू धर्म में कुल कितने पुराण हैं?
हिंदू धर्म में कुल 36 पुराण हैं – 18 महापुराण और 18 उपपुराण।
2. सबसे प्रसिद्ध पुराण कौन-से हैं?
भागवत पुराण, शिव पुराण, गरुड़ पुराण, विष्णु पुराण और स्कन्द पुराण सबसे लोकप्रिय हैं।
3. क्या महापुराण और उपपुराण में अंतर है?
हाँ, महापुराण व्यापक विषयों को समेटते हैं जबकि उपपुराण किसी विशेष विषय या क्षेत्र पर केंद्रित होते हैं।
4. पुराणों का मुख्य उद्देश्य क्या है?
पुराणों का उद्देश्य धार्मिक ज्ञान, जीवन मूल्यों, इतिहास और संस्कृति को सरल और आकर्षक रूप में प्रस्तुत करना है।
5. क्या सभी पुराण संस्कृत में ही लिखे गए हैं?
प्रारंभिक रूप में ये ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए थे, लेकिन अब इनके अनेक भाषाओं में अनुवाद उपलब्ध हैं।
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